भोंपूराम खबरी। ऊधम सिंह नगर के खटीमा में दो लोगों की जान ले चुका आदमखोर बाघ अभी उसी स्थान पर पर मंडरा रहा है। आदमखोर बाघ को पकडने लिए जुटी वन विभाग के ड्रोन कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हुई है। खटीमा के झाऊपरसा निवासी अब भी आदमखोर बाघ के खौफ के साये मे जीने को मजबूर है। ग्रामीणों मे बाघ की इतनी दहशत है की उन्होंने अपने बच्चो को रिश्तेदारो के घर दूसरे गांव भेज दिया है। खौफ के कारण गांव मे दिन मे भी सन्नाटा पसरा हुआ है। विदित हो कि पूर्व मे बाघ ने घास लेने गए दो लोगो को अपना निवाला बना चुका है। शनिवार देर शाम ऊँची बगुलिया निवासी लल्लन और गोपाल शौच के लिए जंगल की ओर गये तो उन्हें बाघ दिखाई दिया। बाघ देख दोनो के होश उड़ गए। इसकी जानकारी उन्होने ग्रामीणों को दी। अनन-फ़ानन मे सैकड़ो ग्रामीण मौके पर दौड़ पड़े, लेकिन तब तक बाघ वहां से जंगल मे भाग गया। सूचना मिलते ही झाऊपरसा मे गश्त कर रही वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुची और बाघ की खोज शुरू कर दी। टीम ने ग्रामीणों ने जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी। रेंज अधिकारी सुधीर कुमार ने कहा की बाघ बहुत शतिर किस्म का है और लगातार रात दिन की गश्त के बाद भी कैमरे मे नहीं दिख रहा है। केवल पद चिन्ह से ही उसके आने जाने का पता चल रहा है। उन्होने बताया कि शनिवार को बाघ ड्रोन कैमरे मे कैद हो गया। यह वही जगह है जहां बाघ ने झाऊपरसा निवासी रोहित को अपना निवाला बना लिया था। बाघ उसी जगह पर फिर दिखाई दे रहा है। रविवार को वन्य जीव विशेषज्ञ टीम के डॉक्टर आयुष मौके पर पहुचकर बाघ को ट्रैकूलाइज करने का प्रयास किया। वन विभाग द्वारा दो पिंजरे लगाए जाने के बाद भी बाघ उनकी पकड़ से दूर है। अनुमान लगाया जा रहा है की बाघ उत्तराखंड की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश वन क्षेत्र की सीमा मे प्रवेश कर जा रहा हैं। वन विभाग के जानकारों के अनुसार सुरई रेंज के बाघ इतने खुंखार नहीं है। ऐसे बाघ उत्तर प्रदेश के जंगलो महौफ, माधोटांडा से पाये जाते है। बाघ जंगल मे 40 से 50 किलोमीटर दूर तक विचरण कर सकता है।
इधर डिप्टी रेंजर सतीश रेखाड़ी और डिप्टी रेंजर सुखदेव मुनि के नेतृत्व मे वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है और ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने की अपील कर रही है। गश्ती टीम मे सुंदरलाल वर्मा, अजमत खान, आरडी वर्मा, हरीश राम, बृजेश, राजू दास, ओमकार सिंह, चंद्र पाल यादव, त्रिलोक राम, बाबूराम यादव, जयदीप पोथीराम मौजूद है।