एक में पूर्व सीएएम रावत तो दूसरे में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश रही नदारद
रुद्रपुर। नगर में शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के तत्वावधान में हुए दो कार्यक्रमों ने पार्टी में चल रही गुटबाजी को सतह पर ला दिया है। जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल नहीं हुए तो नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने ट्रैक्टर रैली से किनारा कर लिया। प्रदेश के दो बड़े नेताओं के बीच चल रहे इस अघोषित युद्ध से कार्यकर्ता भी असहज नजर आये।
सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में कानाफूसी का दौर सुबह ही शुरू हो गया था जब कार्यक्रम के शुरू होने के एक घंटे बाद भी पूर्व सीएम हरीश रावत नहीं पहुंचे। कार्यक्रम स्थल में लगे बैनरों पर भी अगर कांग्रेस की ओर से मात्र प्रभारी देवेन्द्र यादव और प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह का स्वागत संदेश छापा गया था। गुरुवार को इन्हीं पार्टी नेताओं ने हल्द्वानी के स्वराज आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में एकजुटता का संकेत देने का प्रयास किया था और नगर में कार्यकर्ता सम्मेलन में भी नेताओं ने मुख्यतः पार्टी में एकता पर बल दिया। मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही निकली। हालाँकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ ने गुटबाजी की खबरों को सुबह ही खारिज करते हुए कहा था कि रावत का कार्यक्रम ट्रैक्टर रैली में शामिल होने का ही है और उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से पहले ही सम्मेलन में आने में असमर्थता जता दी थी।
वहीं सम्मेलन के बाद गल्ला मंडी में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश नहीं पहुंची। चूंकि डॉ हृदयेश और रावत के तल्ख रिश्ते जगजाहिर हैं और गाहे-बगाहे दोनों अपनी टिप्पणियों से एक दुसरे को असहज करते रहते हैं। ऐसे में कार्यकर्ता भी इस शीत युद्ध से चटखारे लेते नजर आये। उनका कहना था कि कार्यकर्ताओं को एकता का पाठ पढ़ाने वाले नेता खुद ही एक नहीं हो पा रहे तो संगठन को कैसे एक सूत्र में पिरोयेंगे।