भोपूराम खबरी | श्रावण माह में शिव की विशेष पूजा की मान्यता है | जिसमें धार्मिक मान्यता के साथ विज्ञान का नजरिया भी शामिल है | मान्यतानुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमे निकले विष से सृष्टि को सुरक्षित करने हेतु भगवान शिव ने विषपान किया और उन्हें नीलकंठ महादेव भी कहा जाने लगा। भोलेनाथ के कंठ में हो रहे विष के ताप को कम करने हेतु सभी देवताओं द्वारा जल व ठंडी वस्तुओं का अभिषेक किया गया । इसी कारण रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही व ठंडी वस्तुओं का विशेष स्थान हैं | बावजूद इसके शिवलिंग को लेकर समाज में कई तरह के अर्थ बताये गए है | वास्तव में शिवलिंग संस्कृत का शब्द है जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ शिव का प्रतीक है | वैज्ञानिक रूप से बात करे तो शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे । महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले पदार्थ है। शिवलिंग पर चढ़ा जल भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।