मानसून की बेरुखी से तराई के किसान चिंतित 

भोंपूराम ख़बरी, रुद्रपुर।  इस मानसून सीजन में काफी कम बारिश से तराई के किसान परेशान हैं। उनकी खरीफ फसल की उपज में पंद्रह प्रतिशत से अधिक की कमी आने की आशंका है। इस साल 1 जून से 31 अगस्त के बीच केवल 970 मिलीमीटर बारिश हुई। यह सामान्य बारिश से दस प्रतिशत कम है। अगस्त माह में स्थिति सबसे खराब रही और इस महीने बारिश में 23 फीसदी की कमी दर्ज हुई। मानसूनी बारिश की कमी के कारण तराई में खेती की उपज को लेकर किसान आशंकित हैं।
तराई में बारिश कम होने से प्रदेश का खाद्य भण्डार कहे जाने वाले इस क्षेत्र में सीधा असर खेती पर पड़ा है और खरीफ फसलों की उपज में नुकसान के आसार हैं। खरीफ की फसलों को पानी की आवश्यकता है लेकिन अभी भी बादल रूठे हुए हैं और किसानों को अपनी उपज को लेकर लेकर चिंता है।
इस मानसून में तराई क्षेत्र में कम बारिश हुई, जिससे किसान समुदाय चिंतित है। अच्छी बारिश की उम्मीद में जून में खेती शुरू करने वाले किसान अब फसलों को लेकर चिंतित हैं और उन्हें नुकसान का डर सता रहा है। तराई के क्षेत्र में अमूमन प्रत्येक मानसून माह में सामान्य रूप से 400 मिमी वर्षा होती है। जबकि इस बार तराई में औसतन केवल 308 मिमी बारिश हुई। यानी बारिश में 23% की कमी दर्ज की गई। जून के बाद और जुलाई के पहले दो हफ्तों में तराई के क्षेत्र के कई स्थानों पर बिल्कुल भी भारी बारिश नहीं हुई। अगस्त में उधम सिंह नगर जिले में सामान्य के मुकाबले 200 मिमी बारिश दर्ज की गई। पंतनगर के जीबी पंत विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ आरके सिंह ने कहा कि सितंबर में इस क्षेत्र में केवल 170 मिमी बारिश हुई जोकि फसलों के लिए नाकाफी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में तराई के क्षेत्र में अच्छी बारिश होगी और वह सितंबर की कमी पूरा कर देगी। हालांकि डॉ सिंह ने कहा कि आने वाले समय में अगर बारिश के साथ तेज हवाओं भी चलती है तो गन्ना और मक्का की फसलों को किसानों को नुकसान हो सकता है।

गांव बिगवाड़ा के किसान हरभजन सिंह ने कहा कि बारिश में कमी के कारण किसानों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अनियमित वर्षा के कारण खेती प्रभावित हुई है। मानसून के बावजूद अगस्त माह में बीस दिन बारिश ही नहीं हुई थी। मक्के की खेती करने वाले किसान अच्छी उपज की उम्मीद खो रहे हैं। गांव जाफरपुर के किसान जवाहर लाल बठला ने कहा कि उन्होंने पंद्रह एकड़ जमीन में धान की फसल बोई है और बारिश की कमी के कारण प्रति एकड़ खर्च दस फीसदी बढ़ गया है। चूंकि उन्होंने खेतों में पानी पंप करने के लिए डीजल इंजन का इस्तेमाल किया है। कनकपुर गांव के किसान विजय मदान ने कहा कि कम बारिश से धान की फसल की पैदावार में 15 फीसदी से ज्यादा की कमी आएगी और तराई के किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। जिला कृषि रक्षा अधिकारी, विधि उपाध्याय ने कहा कि क्षेत्र के अधिकांश किसानों के पास सिंचाई के कुशल स्रोत हैं और बारिश की कमी को पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि कम जोत वाले किसानों को नुकसान हो सकता है। लेकिन उम्मीद है कि क्षेत्र में खरीफ की फसल की पैदावार अच्छी होगी।

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