भोंपूराम खबरी। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ० गणेश उपाध्याय ने प्रेस को जारी एक ब्यान में कहा है कि सेना में मनरेगा शुरू हुआ है। जैसे मनरेगा में सौ दिनों के काम की गारंटी है, उसी तरह से सेना युवाओं को वीर बनने के लिए चार साल की गारंटी दे रही है।
पिछले हफ्ते,नियम बदल कर सेना से रिटायर हो चुके अफसरों को चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बनाने का बंदोबस्त किया गया है, अब इस हफ्ते, नियम आया है कि चार साल में ही जवान को बोरिया-बिस्तर समेत सेना से बाहर कर दिया जाएगा। जो सैनिक चार साल बाद सेना के लिए फिट नहीं होगा, वह अर्ध सैनिक बलों और पुलिस के लिए कैसे फिट होगा? सीमा सुरक्षा बल तो सीमाओं पर रहता है, ITBP भी मुश्किल पहाड़ों में तैनात रहती है, इनके अफसर ही कहते हैं कि हमारी भूमिका भी सेना के जैसी ही है। ट्रेनिंग देकर प्राइवेट सेक्टर के हाथ में सैनिकों का दस्ता सौंपा जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा एक नई ‘अग्निपथ योजना’ शुरू किए जाने को लेकर बुधवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस संवेदनशील विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई, बस मनमानी की गई है। भाजपा सरकार सेना भर्ती को अपनी प्रयोगशाला क्यों बना रही है? सैनिकों की लंबी नौकरी सरकार को बोझ लग रही है? युवा कह रहे हैं कि ये 4 वर्षीय नियम छलावा है। हमारे पूर्व सैनिक भी इससे असहमत हैं। युवा सेना में जाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं। इसे चार साल के लिए सीमित कैसे किया जा सकता है? जिसमें ट्रेनिंग के दिन और छुट्टियां भी शामिल हों? सिर्फ तीन साल की ट्रेनिंग के बाद युवा देश की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं। जबकि वास्तव में सही तरह से ट्रेनिंग में 6 से 7 वर्ष लग जाते हैं। देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक और अनौपचारिक विषय नहीं है। ये अति गंभीर और दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है। सैन्य भर्ती को लेकर जो खानापूर्ति करने वाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है, वो देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा। यह योजना विवादास्पद है, इसमें कई जोखिम हैं, सशस्त्र बलों की लंबे समय से चली आ रही परंपराओं और लोकाचार को नष्ट कर दिया है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इस योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक बेहतर प्रशिक्षित और देश की रक्षा के लिए प्रेरित होंगे।