मनीष आर्य, भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। चार बार विधायक रहे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ के किच्छा से चुनावी समर के लिए दावेदारी ठोंकने से भले ही किच्छा कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और द्वन्द शुरू हो गया हो। लेकिन एक और प्रश्न अब कांग्रेस हाईकमान के समक्ष उठ खडा हुआ है कि बेहड़ की परंपरागत रुद्रपुर सीट पर अब पार्टी का विधानसभा चुनाव प्रत्याशी किसे बनाया जायेगा। प्रत्याशी भी ऐसा जो भाजपा के हेवीवेट व मौजूदा विधायक राजकुमार ठुकराल को टक्कर दे सके।
दरअसल बीते लगभग दो दशक से तराई में कांग्रेस का चेहरा रहे बेहड़ उत्तराखंड गठन से पूर्व व उसके बाद चार बार लगातार विधायक बने। आरम्भ में हल्द्वानी विधानसभा से विधायक बनकर बेहड़ ने कालांतर में विधानसभाओं के छोटा होने पर तत्कालीन रुद्रपुर-किच्छा एकीकृत विधानसभा से भी चुनाव लड़ा और जीते। उसके बाद पुनः सीमांकन होने पर बेहड़ ने रुद्रपुर का रुख किया मगर उन्हें ठुकराल के हाथों दो बार हार का मुंह देखना पडा। इस दौरान बेहड़ के कद का कोई और नेता रुद्रपुर में उभर नहीं सका और यही पार्टी के लिए चिंता का विषय है। हालाँकि रुद्रपुर सीट से बेहड़ के हटने से यहाँ दावेदार उठ खड़े हुए हैं मगर उन्हें उँगलियों पर गिना जा सकता है। इसमें से भी एक-दो को छोड़कर बाकी अब तक अपना वजूद और जनता के बीच पहुँच को सिद्ध नहीं कर पाए हैं। इसमें सबसे पहले नाम आता है रुद्रपुर की पूर्व पालिकाध्यक्षा मीना शर्मा का जो अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में काफी लोकप्रिय रहीं। शर्मा जातिगत समीकरणों पर भी एक सशक्त प्रत्याशी साबित होती हैं। शर्मा की ईमानदारी के खूब चर्चे हैं व जनता में उनके घुलने-मिलने के गुण का कोई सानी नहीं है।
इसी क्रम में पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष संदीप चीमा भी आते हैं। चीमा भी छात्र राजनीति से शहर का जाना-माना चेहरा हैं। छात्र राजनीति के बाद कांग्रेस से जुड़कर उन्होंने अपने कार्यकाल में तमाम विकास कार्य कराये और लगातार जिला पंचायत का चुनाव भी जीतते आये हैं। युवाओं में उनकी पकड़ से सब वाक़िफ़ है और उन्हें हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर व्यक्तिगत वोट भी खूब मिलता रहा है। विधानसभा के लिए कांग्रेस प्रदेश महासचिव हिमांशु गावा का नाम भी सुर्ख़ियों में है। हिमांशु उस गावा परिवार की विरासत रखते हैं जिन्हें खांटी काँग्रेसी माना जाता है और तराई के गठन से ही बना इस परिवार का राजनीतिक व सामाजिक रसूख आज तक कायम है। गावा कांग्रेस संगठन में भी गहरी पैठ रखते हैं। इसके अलावा कांग्रेस नगराध्यक्ष जगदीश तनेजा भी टिकट के दावेदार हैं। तनेजा ने नगराध्यक्ष रहते हुए समाज के सभी वर्गों में अपनी पहचान बनायी है। इसके अतिरिक्त पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष अरुण पाण्डेय भी दम-खम से दावेदारी कर रहे हैं। अब ये तो वक़्त ही बतायेगा आखिर कांग्रेस इस हॉट सीट से किसको टिकट देती है। लेकिन यदि भाजपा से ठुकराल ही चुनाव समर में उतरते हैं तो यह तय हैं कि कांग्रेस हाईकमान को रुद्रपुर से बहुत सोच-विचार कर प्रत्याशी उतारना होगा। ऐसा प्रत्याशी जो जातिगत, सामाजिक, आर्थिक सभी पहलुओं पर ठुकराल का मुकाबला कर सके और साथ ही मोदी लहर का भी सामना कर सके। अलबत्ता फिलहाल यह कार्य मुश्किल दिखता है लेकिन अगर पार्टी समय से प्रत्याशी चुन ले तो शायद रुद्रपुर में कड़ी चुनावी टक्कर देखने को मिल सके।