भौंपूराम खबरी, रुद्रपुर। नगर निगम रुद्रपुर ने शहर भर में अभियान चलाकर खुद को देश भर में होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान के तहत तैयार घोषित कर दिया है। हालाँकि शहर में हर ओर बजबजाते गन्दगी के ढेर, नालों की दयनीय स्थिति, जर्जर सड़कें और हर तरफ हो चुका अतिक्रमण निगम के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि निगम सिर्फ कागजों में ही सर्वेक्षण को तैयार है जबकि जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है।।
ज्ञात हो कि साल 2019 में देश भर के शहरी निकायों में केंद्र सरकार द्वारा चलाये गए स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान में रुद्रपुर को दयनीय रूप से 407वां स्थान मिला था। मगर सूबे के धनाढ्य नगर निगमों में शुमार रुद्रपुर के इतने बुरे प्रदर्शन के बाद भी निगम की कार्यशैली में कोई ख़ास सुधार नहीं आया है। अब साल 2021 के केन्द्रीय सर्वेक्षण के लिए निगम की ओर से शहर भर में बोर्ड टांग दिए गए हैं जिसमे लिखा है कि निगम स्वच्छ सर्वेक्षण को तैयार है। मगर दावे के विपरीत शहर की स्थिति स्वच्छता के परिप्रेक्ष्य में पहले से खराब हुई है। जगह-जगह गन्दगी के ढेर निगम के दावों की हवा निकालते हैं। कुमाऊँ की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले इस शहर में सड़कों का हाल इस कदर खराब है कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क, यह समझ ही नहीं आता। शहर के अधिकांश नाले व नालियाँ चोक पड़े हैं। यहाँ तक कि शहर के मुख्य बाजार की निकासी को बने एकमात्र बड़े नाले का अंतिम छोर ही बंद है। गन्दगी के ढेर पर हर समय आवारा जानवर बैठे होते हैं तो बीमारियों का भी अंदेशा बना रहता है। बची-खुची कसर निगम की शह पर हुए अतिक्रमण ने पूरी कर दी है। शहर की कोई कालोनी, बाजार, गली, नुक्कड़ अतिक्रमण से मुक्त नहीं है। निगम अधिकारियों द्वारा इन बोर्डों को शहर भर में टांगने के बाद जनता भी इनकी फजीहत में लगी है।
वही सहायक मुख्य नगर अधिकारी दीपक गोस्वामी ने बताया की साल 2020 में अपनी रैंकिंग में हमने सुधार कर देश में 314वां स्थान पाया था। सफाई के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। निगम ने शहर की एकमात्र नदी कल्याणी की सफाई का बीड़ा भी उठाया है जिसमे प्रतिदिन पच्चीस हजार रुपये खर्च किया जा रहा है। जो नाले चोक हैं उन्हें बरसात पूर्व खोल लिया जायेगा। सफाई के लिए नए स्वच्छक भी नियुक्त किये जा रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए समय -समय पर अभियान चलाये जाते हैं।