भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। एक ओर देश के प्रधानमंत्री अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के अन्तर्गत देश को डिजिटल बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं तो वहीं दूसरी ओर देश का सबसे बड़ा बैंक प्रधानमंत्री के प्रोजेक्ट को पलीता लगाने में लगा है। कभी सर्वर डाउन तो कभी कनेक्टिविटी न होने की बात कहकर सरकारी क्षेत्र के सबसे बड़े स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ग्राहकों को लगातार परेशानी में डाला जा रहा है।
देश में डिजिटल लेनदेन से जुड़ी परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। बैंकों में लेनदेन करने वाले ग्राहकों की हालत पस्त हो चली है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की आवास विकास शाखा की डिजिटल सेवाएं मंगलवार को बाधित रहीं। बैंक कर्मचारियों ने बैंक के प्रवेश द्वार पर ‘नो कनेक्टिविटी’ लिखा नोटिस चस्पा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। यहां पहुंचे ग्राहकों ने आये दिन सर्वर या कनेक्टिविटी की परेशानी उत्पन्न होने पर सवाल उठाए। यहाँ तक कि लोगों को नेटबैंकिंग में भी समस्या आई।
अपने पुत्र की ऑनलाइन फीस जमा कराने बैंक पहुंचे मनीष कुमार का कहना था कि फीस जमा करने की आखिरी तिथि है लेकिन बैंक कर्मचारी किसी भी बात का गंभीरता से जवाब नहीं दे रहे हैं। दिल्ली में रहने वाली अपनी बहन के अकाउंट में पैसा जमा कराने पहुंचे निखिल मिश्रा ने कहा कि इस बैंक में स्टाफ भी कम है और महीने में छुट्टियों के अलावा लगभग सात दिन सर्वर या कनेक्टिविटी की परेशानी होना आम बात है। उन्होंने कहा कि यहां का स्टाफ भी खाताधारकों से ढंग से बात नहीं करता।
वहीं इस मामले में अर्थशास्त्री कमला पाण्डेय का कहना था कि देश में बैंकों का निजीकरण होने के पीछे सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की शिथिलता और ग्राहकों के प्रति अपमानजनक रवैया एक बहुत बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया की सार्थकता तभी है जब इनसे सम्बंधित सेवाएं निर्बाध रूप से चलें।