आखिर क्यों बैखोफ है एआरटीओ ऑफिस के दलाल

भौंपूराम खबरी, रुद्रपुर  के उपसंभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय (एआरटीओ) में दलालों का दबदबा कायम है। यह हाल तब हैं जब आपके अपने वेब पोर्टल “भोंपूराम” में इस बाबत समाचार छपने के बाद अधिकारियों ने इस गोरखधंधे पर नकेल कसने की बात कही थी। स्थिति में मात्र इतना बदलाव आया है कि पहले कार्यालय के बाहर अपनी गाड़ियाँ खड़ी कर धंधा चलाने वाले अब कार्यालय के सामने खाली पड़े मैदान से ऑपरेट कर रहे हैं। हालात देखकर तो यही लगता है कि एआरटीओ कार्यालय पर दलाल बेख़ौफ़ हैं।

ज्ञात हो कि हमने 28 जनवरी को आपको बताया था कि किस तरह एआरटीओ कार्यालय खुलने से पहले ही बाहर दलालों की भीड़ लगने लगती है। यह दलाल कार्यालय के आसपास पेड़ों के नीचे अपनी गाड़ियाँ खड़ी कर ऑपरेट करते हैं। इनकी कारों में फ़ोटोस्टेट मशीन, आरटीओ से जुड़े तमाम फॉर्म और दस्तावेज़ मौजूद रहते हैं। यहीं ग्राहकों से मोल-भाव किया जाता है और सौदा कर लिया जाता है। लर्निंग के बाद लाइट का लाइसेंस बनाने के लिए दलालों द्वारा लाइसेंस देने के नाम पर दो हजार से लेकर चार हजार रुपये तक लिए जा रहे हैं। लाइट के लाइसेंस को हैवी कराने के लिए 10 हजार रुपये तक दलाल ठग लेते हैं। यह समाचार प्रकाशित होने के बाद एआरटीओ पूजा नयाल ने कहा था कि वह इस बाबत कार्रवाई करेंगी। मगर मंगलवार को स्थिति का जायजा लेने पर पता चला कि दलाल भयमुक्त होकर अभी भी कार्य कर रहे हैं। मात्र इतना बदलाव आया कि अब यह दलाल एआरटीओ कार्यालय के बाहर गाड़ियाँ खड़ी करने के स्थान पर कुछ दूरी पर स्थित खाली मैदान से अपनी सामानांतर सत्ता चला रहे हैं। यह स्थिति तब है जब समीप ही जिलाधिकारी और एसएसपी का ऑफिस स्थित है। शीर्ष अधिकारियों की नाक के नीचे चल रही इस दलाली से सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल उठते हैं।

ग्राम भूरारानी से अपनी गाडी की वार्षिक फिटनेस चेक कराने पहुंचे एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकारी खर्च लगभग साढ़े तीन हजार का है लेकिन फाइल में अधिकारियों और बाबुओं ने मीनमेख निकाल दी। जिसके बाद दलाल से संपर्क करने पर यही काम आठ हजार रुपये में आसानी से हो गया। बता दें कि बीते साल तत्कालीन जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने एआरटीओ कार्यालय पर अचानक छापा मारकर कई दलालों की गाड़ियाँ, दस्तावेज़ और यहाँ तक कि प्रिंटर मशीनें भी जब्त कर ली थी। उस सख्त कार्रवाई के बाद कई दिनों तक यह कार्यालय दलाल विहीन हो गया था। मगर एक बार फिर से दलालों ने यहाँ अपनी बादशाहत कायम कर ली है।

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