कृषि कानून: कलक्ट्रेट में किसानों की सिंह गर्जना, पीएम को ज्ञापन भेजा

 भौंपूराम खबरी, रुद्रपुर।  कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तराई के किसानों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। किसान नेताओं द्वारा उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में पूर्व घोषित चक्का जाम कार्यक्रम वापस लिए जाने के बाद तब्दीली के तहत किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर अपनी मांगे रखीं। पांच सूत्रीय मांगों के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को संबोधित दो ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपे। इससे पूर्व किसान जुलूस की शक्ल में कलक्ट्रेट पहुंचे और तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाने के लिए जमकर नारेबाजी की।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) व तराई किसान सभा के बैनर तले दर्जनों किसान शनिवार अपराह्न कलक्ट्रेट पहुंचे। यहाँ प्रवेश द्वार पर तैनात पुलिस बल ने उन्हें वाहनों सहित अन्दर जाने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद किसान नारेबाजी करते हुए जुलूस की शक्ल में डीएम कार्यालय के समक्ष पहुंचे। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा ने कहा कि ढाई महीने से देश भर के लाखों किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। सौ से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं मगर केंद्र सरकार कृषि कानून वापस नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने आज आहूत चक्का जाम को किसान नेताओं ने स्थगित कर दिया। यूपी और उत्तराखंड के किसानों को गन्ना बेचने में समस्या न हो इसलिए जाम को रद्द किया गया और इसके बदले कलक्ट्रेट घेराव का निर्णय लिया गया।  कांग्रेस नेता सीपी शर्मा ने कहा कि देश भर के किसान आंदोलित हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी मांगें मानने को तैयार नहीं है। उल्टे किसान आंदोलन को खत्म कराने के उद्देश्य से साजिशें रच रही है। गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर हुई घटना से सब कुछ स्पष्ट हो गया। आज किसानों पर फर्जी मुकदमे लादे जा रहे हैं। उन्हें जेलों में बंद किया जा रहा है, लेकिन किसान झुकने वाला नहीं है। किसान यह लड़ाई जीत कर ही दम लेगा।  अपर जिलाधिकारी जगदीश कांडपाल से भेंट करते किसानों ने उन्हें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को संबोधित दो ज्ञापन सौंपे। मांग पत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने, किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने, किसानो पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, जेल में बंद किसानों की बिना शर्त रिहाई और सरकार के मंत्री, विधायकों, व भाजपा नेताओं द्वारा किसानों पर की जा रहीं अशोभनीय टिप्पणियां बंद करने की मांग की।

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