आखिर क्यों है दलालों के हौसले इतने बुलंद????

भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। आपके अपने न्यूज़ पोर्टल भोंपूराम में रुद्रपुर एआरटीओ कार्यालय की असलियत उजागर करने और अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद भी यहां कार्यरत दलाल बाज नहीं आ रहे हैं। आखिर इन दलालों को किसका वरदहस्त प्राप्त है जो यह खुलेआम एआरटीओ कार्यालय पर अपनी दलाली की दुकानें सजा कर बैठे हैं?  यहां का सारा गोरखधंधा पोर्टल में छपने के बाद भी अधिकारी आखिर क्यों इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं? यह हालात तब हैं जब प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि उन्होंने जीरो टॉलरेंस वाली सरकार जनता को दी हैऔर सूबे में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

लेकिन एआरटीओ कार्यालय के हालात देखकर स्थिति उलट लगती है। यहां दलालों का मकड़जाल इस कदर छाया हुआ है कि एआरटीओ से संबंधित किसी भी कार्य को करवाने आए व्यक्ति को सुविधा शुल्क देना ही पड़ता है। अगर दलालों को छोड़कर फरियादी खुद कोई काम कराना चाहता है तो अधिकारी व बाबू उस काम को लटका देते हैं। अंततः परेशान व्यक्ति को हार कर दलालों का रुख करना पड़ता है और यहीं दलाल अपनी पौ बारह करते हैं। अमूमन तीन सौ से लेकर ₹400 में बनने वाले लाइसेंस के लिए यह दलाल ₹4000 तक वसूल कर लेते हैं। इसी तरह अगर किसी ने अपनी गाड़ी की फिटनेस करानी है तो उसे ₹3000 की जगह ₹8000 तक खर्च करने पड़ते हैं। हैरानी की बात यह है की एआरटीओ कार्यालय और डीएम ऑफिस की दूरी 100 मीटर है ऐसे में जिले के हाकिम की नाक के नीचे पलता भ्रष्टाचार आश्चर्यचकित करता है। शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस भ्रष्ट एआरटीओ कार्यालय में कोई कार्यवाही ना करना सवालिया निशान खड़ा करता है। इस एआरटीओ कार्यालय के बाहर यह दलाल कुकुरमुत्तों की तरफ फैले हुए हैं और अपनी गाड़ियों से ऑपरेट करते हैं। लेकिन मजाल कि कोई इन्हें रोक ले। लोगों का कहना है कि यहां की काली कमाई दलालो, बाबुओं और अधिकारियों में बराबर बंटती है। अब देखने वाली बात यह है कि जनहित से जुड़े इस मुद्दे पर अफसर कोई कार्रवाई करते हैं या फिर एआरटीओ कार्यालय में दलालों का तिलिस्म जारी रहेगा !!

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