इजहारे मोहब्बत का दिन, पर बेज़ार है बाज़ार

भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। प्रेम का पर्व वैसे तो भारतीय परंपरा में बसंत का मास माना ही गया है लेकिन इसी दौरान वैलेंटाइन सप्‍ताह के आयोजन से देश भर में प्रेमियों और युवाओं के बीच य‍ह पर्व खासी चर्चा और इंतजार का दिन बन चुका है। प्रेम और ब्रेकप की कहानियों यह वो मौसम है जिसका वर्ष भर लोगों को इंतजार बना रहता है। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे ही एक मात्र प्रेम के इजहार का दिन माना गया है और सप्‍ताह पूर्व से इसका आयोजन शुरू हो जाता है। बाजार भी इस प्रेम के पर्व की खुमारी में डूब जाता है। मगर कोविड काल से उबरने की कोशिश कर रहे बाजार में इस बार वैलेंटाइन डे को लेकर को उत्साह नहीं है।
वेलेंटाइन सप्ताह खत्म हुआ मगर कड़की और मंहगाई की चपेट में आये प्रेमी जोड़े बाज़ार में नज़र ही नही आ रहे और जो लोग खरीदारी के लिए आ भी रहे है उनक बजट बेहद सीमित है। शहर के गांधी पार्क में मौजूद फूल विक्रेताओ के चेहरों पर मंदी को मार साफ देखी जा सकती है। गत वर्ष जहाँ अबतक हर दुकानदार के पास फूलों के लिए दर्जनों लोगों के आर्डर थे आज उन्हीं दुकानदारों के को इक्का-दिक्का आर्डर के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे ही एक फूल विक्रेता विशाल सिंह ने बताया कि बाजार को देखते हुए उन्होंने सीमित माल मंगाया है। उनके अनुसार बीते वैलेंटाइन सप्ताह में उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा। विशाल ने बताया कि इस बार का बाजार बीते कुछ वर्षों की अपेक्षा सबसे निचले स्तर पर है। फूल विक्रेताओ की तरह गिफ्ट शॉप वाले भी बिक्री में आई गिरावट से काफी परेशान है हालांकि ऐसे व्यवसायियों ने वैलेंटाइन डे पर कारोबार सुधरने की उम्मीद जताई है।
सिविल लाइन्स में होलेसेल गिफ्ट शॉप चलाने वाले रमेश पुन्शी कहते हैं कि दो दशक में पहली बार वैलेंटाइन पर ऐसी मंदी देखी है। उनका कहना था कि उम्मीद थी कि वैलेंटाइन डे के मौके पर गिफ्ट आइटम्स की सेल बढ़ेगी पर निराशा हाथ लगी है। कुछ इसी तरह आवास विकास में गिफ्ट्स का कारोबार करने वाले प्रदीप यादव ने अपनी व्यथा सुनाई। उनका कहना था कि दीवाली पर बाजार में नरमी रहने के बाद क्रिसमस और नव वर्ष पर भी ख़ास अंतर नहीं आया। वैलेंटाइन पर उम्मीद थी कि व्यापार उठेगा पर नतीजा सिफर ही रहा।

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