भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण बेकाबू होने के साथ ही संक्रमितों की मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। विशेषकर तराई के क्षेत्र में मरीजों का इस महामारी के आगे घुटने टेकना लगातार जारी है। उच्च स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दंभ भरने वाले उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर के एकमात्र मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा भी जगजाहिर है। यहाँ वर्तमान में कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर राष्ट्रीय औसत दर से बहुत कम है। यही नहीं इस कॉलेज में भर्ती हुए कोरोना रोगियों की मृत्यु दर भी बीस प्रतिशत से अधिक है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीती एक अप्रैल से यहाँ भर्ती हुए 1377 मरीजों में से 267 अब तक अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ मरीजों की मौतें रोकना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई रणनीतियां अपनाई जा रही हैं। इसके बावजूद संक्रमितों की मौत के मामले नहीं थम रहे हैं। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर 1.41 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर 1.13 प्रतिशत है। लेकिन इससे उलट रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में दाखिल होने वाले बीस प्रतिशत से अधिक मरीज अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं।
कोविड के जिला नोडल अधिकारी व अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अविनाश खन्ना के अनुसार बीती एक अप्रैल से रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में कोरोना के कुल 1377 मरीज भर्ती हुए। इसमें से 11 को उच्च इलाज के लिए अन्यत्र रेफर किया गया। जबकि 720 मरीज कोरोना को मात देकर निकले। फिलहाल मेडिकल कॉलेज में 279 कोरोना मरीजों का उपचार जारी है।
ऐसे में यह चिंतनीय है कि तराई के क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से स्थापित यह मेडिकल कॉलेज अपनी उपयोगिता साबित करने में असमर्थ रहा है। कॉलेज में मरीजों को होने वाली असुविधाओं के लिए लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। साथ ही यहाँ काल-कलवित हुए लोगों का आंकड़ा भी हैरान करता है। इतनी बड़ी संख्या में कोरोना से पीड़ित लोगों की मृत्यु होना दर्शाता है कि जिले का सवास्थ्य विभाग व प्रशासन अपनी भूमिका को लेकर गंभीर नहीं है। इसके साथ ही लोगों का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से विश्वास भी उठता जा रहा है और वह अधिक रकम खर्च कर निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हैं।