शिक्षा की अलख जगा रहे, सुरजीत सिंह ग्रोवर

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम्, शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता अर्थात ज्ञानवान, निपुणता, विनम्रता, पुण्यात्मा, मनन चिंतन हमेशा सचेत और प्रसन्न रहना ये सात शिक्षक के गुण है। इन गुणों की बदौलत शिक्षक को भले ही भगवान का दर्जा दिया गया हो लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अध्यापन में न होने के बावजूद भी देश की तरक्की के लिए बच्चों और युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही नहीं अपने संसाधनों से बच्चों को शिक्षा उपलब्ध भी कराते हैं। नगर में ऐसी ही एक शख्सियत हैं सरदार सुरजीत सिंह ग्रोवर जो न सिर्फ स्वयं बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ नगर का नाम शिक्षा जगत में आगे ले जाने के लिए बीते तीन दशक से निर्बाध सेवा में लगे हैं।

शहर के प्रतिष्ठित ग्रोवर परिवार के सुरजीत सिंह शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम हैं। अस्सी के दशक में जेसीज स्कूल के रूप में शहर को पहला कान्वेंट स्कूल देने वाले लोगों में शुमार सुरजीत सिंह इस क्षेत्र में प्रथम अन्वेषक माने जाते हैं। जिस समय रुद्रपुर पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों में गिना जाता था उस समय सुरजीत सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की ठानी। जेसीज स्कूल के माध्यम से उन्होंने शहर में शिक्षण संस्था का एक मील का पत्थर स्थापित किया। सतत प्रयासों से जेसीज में न सिर्फ संपन्न परिवारों के बच्चे बल्कि सुरजीत सिंह द्वारा दी गयी आर्थिक सहायता से यहाँ निम्न मध्यम परिवारों के बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करने लगे। कालांतर में यहाँ के विद्यार्थी चिकित्सक, इंजिनियर, आईएएस, आईपीएस, वकील आदि बनकर देश सेवा में जुटे। शहर का आर्थिक विकास होने के साथ सुरजीत सिंह भी शिक्षा के क्षेत्र में नयी तकनीकें लाते रहे। इंग्लैंड में शिक्षित इनकी पुत्री ने यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मुहैया कराने के लिए अपने देश का रुख कर लिया। खेल जगत में भारत के हलके प्रतिनिधित्व के मद्देनजर सुरजीत सिंह ने शहर में दिल्ली पब्लिक स्कूल की स्थापना की और स्पोर्ट्स के लिए व्यापक इंतजाम किया। वह स्वयं भी उत्तराखंड तलवारबाजी संघ के अध्यक्ष हैं। आज उनके स्कूलों के बच्चे खेल प्रतियोगिताएं में राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहे हैं।
दिल्ली पब्लिक स्कूल के उप प्राचार्य सुधांशु पन्त कहते हैं कि उन्होंने शिक्षा के लिए सुरजीत सिंह ग्रोवर जैसे समर्पित इन्सान नहीं देखे। बीते तीस सालों से शिक्षक पन्त यह भी कहते हैं कि सुरजीत सिंह शिक्षा के क्षेत्र में नए अनुभव करने के लिए अक्सर यूरोप की यात्रा कर प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ाईके ढंग को देखते हैं व यहाँ उसके अनुपालन के लिए प्रयास करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य के लिए सुरजीत सिंह राष्ट्रपति द्वारा भी पुरस्कृत हो चुके हैं।

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