भोंपूराम खबरी , रुद्रपुर। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 20 सितंबर सोमवार से पितृपक्ष प्रारंभ हो रहा है और आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 6 अक्टूबर बुधवार को पितृ विसर्जन किया जाएगा। यानी इस वर्ष पितृपक्ष कुल 17 दिनों तक चलेगा ।
धार्मिक मान्यतानुसार अपने पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण हेतु तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वर्ष की जिस भी तिथि को पूर्वजों का निधन हुआ हो, पितृ पक्ष की उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा को केवल उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ हो। ज्योतिषाचार्य लव कुश भारद्वाज के मुताबिक सामान्य बोलचाल की भाषा में तर्पण श्राद्ध और पिंडदान का अर्थ अपने पितरों को जल दान और निमित्त भोजन दान करना है। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी के मुताबिक प्राचीन समय में सबसे पहले महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने श्राद्ध का ज्ञान दिया था तब ऋषि निमि ने श्राद्ध किया और उनके बाद अन्य ऋषियों ने भी श्राद्ध कर्म प्रारम्भ कर दिया। तभी से पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण हेतु श्राद्ध कर्म करने की परंपरा प्रचलित हो गई। । उन्होंने बताया कि तर्पण और श्राद्ध सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त से पहले करें। अंधेरे व रात्रि में श्राद्ध कर्म न करें।