भोंपूराम ख़बरी ,रुद्रपुर। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व के केंद्र द्वारा लागू कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद हुए किसान अब धान खरीद में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मुखर हो चले हैं। किसानों का आरोप है कि धान खरीद कम दामों में की जा रही है। इसको लेकर नगर की गल्ला मंडी में किसानों ने प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गए। इस दौरान एक किसान के आत्मदाह की घोषणा करने से माहौल गर्म हो गया।
पिछले लगभग 11 महीने से हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर खिलाफ धरना और आंदोलन कर रहे हैं। कुछ दिन पूर्व लखीमपुर खीरी में हुई घटना ने जैसे इस आंदोलन की आग में घी डालने का काम कर दिया। इस घटना के बाद से किसानों का आक्रोश चरम पर है। इधर नगर में जैसे ही धान खरीद प्रारंभ हुई और कच्चे आढ़तियों ने तथाकथित रूप से कम दामों में खरीदी शुरू की तो किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
तमाम किसान गल्ला मंडी में एकत्र हुए और उन्होंने सरकार व कच्चे आढ़तियों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। किसान नेता अमन ढिल्लों ने कहा कि किसानों से धान की खरीद प्रति क्विंटल 1450 से 1500 रुपये में की जा रही है जो सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि नियमावली के हिसाब से फसल की खरीद-फरोख्त हो और किसानों को 19 सौ रुपये प्रति क्विंटल से अधिक फसल का दाम मिले। चेतावनी दी कि यदि फसल खरीद के दाम ठीक नहीं किए गए और किसानों को उन्नीस सौ से अधिक दाम नहीं मिला तो वह आत्मदाह कर लेंगे।इससे वहां हड़कंप मच गया। लेकिन वरिष्ठ किसानों ने समझा-बुझाकर उन्हें शांत किया। किसान नेता विक्रमजीत सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान कर्चा से जुड़े किसान इसी कारण फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून की मांग कर रहे हैं। इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार गूंगी और बहरी हो चुकी है जो किसानों की मांगों पर गौर नहीं कर रही। इस किसान आंदोलन में अनेकों किसानों ने आंदोलन में भाग लिया और अपनी शहादत दी। लेकिन बावजूद इसके सरकार देश के अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों के साथ इंसाफ नहीं कर रही।
इस दौरान दर्जनों किसानों ने गल्ला मंडी में सांकेतिक जाम भी लगा दिया। सूचना मिलने पर बगवाड़ा मंडी के अधिकारी और पुलिस प्रशासन भी मौके पर पहुंच गया। प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों को आश्वस्त किया कि उन्हें धान का उचित दाम मिलेगा। इस दौरान गुरजीत सिंह चीमा, मनजीत सिंह, मलूक सिंह, गुरदीप सिंह, हीरा विर्क, सुखदेव सिंह, जगबीर सिंह, हरपाल सिंह, सुखचैन सिंह सहित दर्जनों किसान मौजूद थे।