इंटरार्क मजदूर संगठन ने महापंचायत कर प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा 

भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर।  इंटरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर व इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के बैनर तले रविवार को मजदूर महापंचायत का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इंटरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक व प्रबंधन द्वारा अप्रशिक्षित ठेका व कैजुअल मजदूरों ,अप्रेंटिस व ट्रेनी छात्रों से खतरनाक मशीनों व मुख्य उत्पादन गतिविधियों में कार्य कराकर उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

नगर के अम्बेडकर पार्क में सैकड़ों की तादात में एकत्र हुए मजदूरों को संबोधित करते हुए श्रमिक नेताओ का कहना था कि ठेके के तहत नियोजित सुपरवाइजरों के निर्देशन में स्थाई मजदूरों से जबरिया कार्य करवाया जाता है।जबकि श्रम विभाग द्वारा ठेकेदारों को महज लोडिंग -अनलोडिंग के कार्य करवाने को ही लाइसेंस प्रदान किये गये हैं। कंपनी प्रबंधन द्वारा गैरकानूनी कृत्य किये जा रहे हैं। दोनों औद्योगिक इकाइयों में आये दिन अंग भंग के कारण श्रमिक विकलांग हो रहे हैं। इंटरार्क इंजीनियरिंग उद्योग है जहां पर बड़े-बड़े भवनों, कारखानों, पुलों ,रेलवे -रोडवेज -एयरपोर्ट -वेयर हाउस आदि के लिये लोहे व स्टील की बिल्डिंग मैटीरियल तैयार की जाती है इसलिए यहां पर ठेकेदारों व कैजुअल के मजदूरों,अप्रेंटिस व ट्रेनी के छात्रों को मुख्य उत्पादन गतिविधियों में नियोजित करना कानूनन पूर्णतया प्रतिबंध है।

वक्ताओं का कहना था कि कंपनी प्रबंधन द्वारा 2018 के लिखित समझौते के बाद भी 23 निलंबित व बर्खास्त श्रमिकों की अब तक भी कार्य बहाली नहीं की गई है। पिछले चार साल से मजदूरों की वेतन वृद्धि नहीं की गई है। मांग पत्रों पर सुनवाई नहीं की जा रही है। बोनस भी काट दिया जाता है। महापंचायत में कहा गया कि यदि श्रम विभाग द्वारा एक सप्ताह के भीतर गैरकानूनी कार्यों पर रोक न लगाये जाने की स्थिति में मजदूर संगठन खुद ही यह रोक लगाने को स्वतंत्र होंगे। इसकी समस्त जिम्मेदारी कंपनी मालिक, प्रबंधन व श्रम विभाग की होगी।

इस दौरान श्रमिक नेता दलजील सिंह, राकेश कुमार, दिनेश तिवारी, हरेंद्र सिंह, कैलाश भट्ट, भुवन पन्त, रामगोपाल, अभिलाख सिंह, रामजीत सिंह, चंदन मेवाड़ी, रजनी जोशी, कमलेश कार्की, प्रमोद तिवारी सहित विभिन्न श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी, सैकड़ों मजदूर व उनके परिजन उपस्थित रहे।

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