टमाटर की किल्लत के लिए सिर्फ बारिश जिम्मेदार नहीं; जानिए असली वजहें

नई दिल्ली। 19 मई 2023 की खबर है। नासिक की कृषि उपज मंडी में किसान अपने टमाटर बेचने पहुंचे। मंडी में टमाटर की बोली 1 रुपए प्रति किलो लगी। कई किसान मंडी में बेचने की बजाय टमाटर वहीं सड़क पर फेंक कर चले गए।
एक महीने बाद की विडंबना देखिए। किसानों से 1 रुपए किलो टमाटर खरीदने की खबर लिखने वाले न्यूजरूम के एक साथी कल बाजार से 110 रुपए किलो टमाटर खरीदकर लाए। सब्जी वाले ने उन्हें 10 रुपए डिस्काउंट देने का एहसान भी जता दिया।
कहा जा रहा है कि टमाटर की कीमतों में अचानक उछाल मानसून और बारिश की वजह से आई है। इस मौसम में टमाटर की कीमतें हर साल बढ़ती हैं।
टमाटर की किल्लत के पीछे इस बार सिर्फ मानसून जिम्मेदार क्यों नहीं है। मानसून के अलावा कौन-से फैक्टर हैं और ये कीमतों को कब तक बढ़ाकर रख सकते हैं?
टमाटर की कीमतों में उछाल की वजह जानने के लिए टमाटर की पैदावार को समझना जरूरी है। भारत में टमाटर की दो फसलें उगाई जाती हैं। एक रबी सीजन (दिसंबर से जनवरी में बुआई) और दूसरी खरीफ (अप्रैल-मई में बुआई) के सीजन में। टमाटर की फसल लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है और 45 दिनों तक इसे तोड़ने का काम चलता है।
रबी की फसल मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और छत्तीसगढ़ में उगाई जाती है। इन इलाकों में 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए टमाटर की फसल की सप्लाई मार्च से अगस्त तक होती है।
खरीफ की फसल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में उगाई जाती है। 8-9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए गए टमाटर की फसल की सप्लाई देश भर के बाजारों में अगस्त के बाद से होती है।

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